लेखनी प्रतियोगिता -21-Jan-2022

मधुभार (छवि) छन्द 


अष्ट मात्रिक , चार चरण 
दो परस्पर समतुकांत
अन्त में जगण(१२१)
२२१२१

छाया अधार , है  जग  असार ।
भज राम नाम , तज भोग काम ।।

दिखला न आस , कर दे उजास ।
ओ  निर्विकार ,  महिमा  अपार ।। 

मनवाँ  अधीर  ,  है  घोर  पीर ।
भर अङ्कमाल , जीवन सँभाल ।।

करुणा निधान ,  देदीप्यमान ।
सुन लो पुकार , भव से उबार ।।

हर के विकार , तू  ही  सँवार ।
रघुनाथ राम , तुमको प्रणाम ।।

- - - - ऋषभ दिव्येन्द्र 
२१ जनवरी २०२२
#प्रतियोगिता हेतु 

   13
16 Comments

Seema Priyadarshini sahay

23-Jan-2022 01:46 AM

🙏🙏नमस्कार बंधु..आपकी मेहनत को प्रणाम

Reply

बहुत बहुत धन्यवाद आपका 🤗🙏

Reply

Shrishti pandey

22-Jan-2022 03:33 PM

Very nice

Reply

धन्यवाद आपका 🤗🙏

Reply

Punam verma

22-Jan-2022 09:32 AM

अति सुंदर

Reply

धन्यवाद आपका 🤗🙏

Reply